Sunday, July 26, 2009

आज आँखों में एक नमीं सी है

आज आंखों में एक नमीं सी है ,
शायद कोई अपना याद गया है,
और कहीं याद गयी है वो कहानी,
जो गुम हो कर भी कहीं बसी थी मुझमें

शायद इसलिए तो एक बीतें हवा के झोंके ने
मन के डाल पर लगी उस पत्ती को यूँ झकझोर दिया ,
और याद दिला दी मुझे उस कहानी की जो
हर बार भूल कर भी मैं हर पल याद करता हूँ।

याद करता हूँ कि कैसे वो मुझसे इतना प्यार करती थी
मुझे देखने को उसकी आँखें तरसती थी,
कैसे वो मासूमियत से हंसती थी
और मुझसे रोज़ कहा करती थी ,
कि मेरी आँखें भी तरसेंगी एक दिन उसके लिए
और एक दिन मैं भी उससे इतना प्यार करूंगा।

शायद वो सच कहती थी........................
शायद ...............................

इसलिए आज आंखों में मेरी एक नमीं सी है
कोई अपना सा याद गया है

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